क्वांटम मैकेनिक्स को अगर बाजु में रखा जाये तो हमारी इस भौतिक दुनिया में स्थान की कोई समस्या नहीं है. एक सवाल “X कहा है?” इसका जवाब स्पष्ट रूप से दिआ जा सकता है चाहे वो कोई वस्तु हो या मनुष्य। डिजिटल दुनिया में कहाँ यह सवाल थोड़ा कठिन है परन्तु असंभव नहीं। हमारा ईमेल सच में कहा है? एक बुरा जवाब है “क्लाउड” जो की किसी और का संगणक है। फिर भी अगर आप हर एक यंत्र को खोज सकते हो जहा आपका ईमेल रखा हुआ है।
बिटकॉइन क साथ यह सवाल “कहाँ” बहुत कठिन हो जाता है। ठीक कहाँ पर है तुम्हारे बिटकॉइन?
समस्या २ भागो में बाटी जा सकती है : पहली, वितरित खाताबही पूरी तरह से वितरित है; याने खाताबही हर जगह पर है। दूसरी, बिटकॉइन जैसी कोई वास्तु ही नहीं; शारीरिक रूप से ही नहीं बल्कि तकनीकी तौर पर भी।
बिटकॉइन खर्च ना किये हुए लेनदेन उपज पर नजर रखता है और किसी ऐसी वास्तु पर ध्यान नहीं होता जिसे बिटकॉइन कहते है। बिटकॉइन के अस्तित्व को समझा जाता है लेनदेन उपज की खाताबहीमें खर्च न किये १०००००००० यूनिट (सातोशी) को देख कर।
“वह कहा है इस समय? पारगमन में? […] सबसे पहले तो बिटकॉइन है ही नहीं। उनका अस्तित्व नहीं है। वह खाताबही की प्रविष्टि है जो की वितरित है। […] वह कही भौतिक स्थान है। खाताबही हर भौतिक स्थान पर है। भूगोल का यहाँ कोई मतलब नहीं। तुम उस से कोई नीति नहीं बना सकते। पीटर वैन वॉल्केनबर्घ
तो फिर जब तुम कहते हो “मेरे पास बिटकॉइन है”, तुम्हारे पास सच में क्या है अगर बिटकॉइन है ही नहीं? अगर तुमने कभी बिटकॉइन बटुआ (wallet) बनाया होगा तो तुम्हे याद होगा कुछ अजीब से १२-२४ शब्द जो लिखने पड़े होंगे। यही जादुई शब्द है जो तुम्हारी अमानत है जिस से तुम खाताबही में प्रविष्टि कर सकते हो – बिटकॉइन को खर्च करनेकी चाबी। इस वजह से आसान शब्दों में कहे तो आपके वो शब्द ही आपके बिटकॉइन है। अगर आपको लगता है यह बात गलत है तो किसी और को अपने जादुई शब्द दे कर देखो।
इस से पता पड़ता है की बिटकॉइन के स्थान को समझना मुश्किल काम है।